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दीवाली से पहले मिठाई में मिलावट का धंधा तेज, खोवा और रंग में हो रहा रासायनिक मिश्रण खाद्य विभाग की चुप्पी पर उठे सवाल

ऊंची दुकानों में घटिया मिठाई की बिक्री से उपभोक्ता परेशान

ऊंची दुकानों में घटिया मिठाई की बिक्री से उपभोक्ता परेशान

दीवाली से पहले मिठाई में मिलावट का धंधा तेज, खोवा और रंग में हो रहा रासायनिक मिश्रण खाद्य विभाग की चुप्पी पर उठे सवाल

✍🏻 पुष्पेंद्र कुमार गुप्ता की रिपोर्ट

रीवा/गुढ़। दीवाली नजदीक आते ही रीवा सहित आस पास ग्रामीण क्षेत्र के अलावा गुढ़ छेत्र में भी बड़ी-बड़ी मिठाई दुकानों पर भीड़ बढ़ने लगी है, लेकिन इन ऊंची दुकानों में बिक रही मिठाइयों की गुणवत्ता पर बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। उपभोक्ताओं के अनुसार बाजार में खुलेआम घटिया और मिलावटी मिठाइयां बेची जा रही हैं। जिसके सेवन से कई लोग पेट दर्द और संक्रमण जैसी बीमारियों का शिकार हो रहे हैं। चिंता की बात यह है कि जिले के खाद्य विभाग द्वारा अब तक किसी भी बड़ी दुकान या मिष्ठान निर्माण स्थल का निरीक्षण नहीं किया गया है।

महंगा खोवा बना मिलावटखोरी की वजह-:
जानकारी के मुताबिक, इस साल मानिकपुर से आने वाला शुद्ध खोवा महंगा हो गया है। इस कारण गुढ़ के कई दुकानदार झांसी और ग्वालियर से सस्ता लेकिन घटिया खोवा मंगाकर मिठाई बनवा रहे हैं। यह नकली खोवा दूध से क्रीम निकालने के बाद बचे पानी में केमिकल, शकरकंदी, सिंघाड़े का आटा, आलू, मैदा और यहां तक कि यूरिया जैसी हानिकारक चीजें मिलाकर तैयार किया जाता है। वजन बढ़ाने के लिए इसमें स्टार्च और आयोडीन भी मिलाया जाता है।

फ्रीजर में महीनों स्टोर फिर कैमिकल से चमकाई जाती मिठाई-:
दुकानदार दीवाली से एक महीना पहले ही खोवा खरीदकर फ्रीजर में स्टोर कर लेते हैं। लंबे समय तक रखने से खोवा का स्वाद और रंग बदल जाता है। निर्माण से कुछ दिन पहले कैमिकल अर्क डालकर उसे सफेद और चमकदार बना दिया जाता है ताकि मिठाई देखने में आकर्षक लगे। इसके बाद अलग-अलग सेंट और फ्लेवर डालकर विभिन्न प्रकार की मिठाइयां तैयार की जाती हैं।

निर्माण स्थलों पर गंदगी, सफाई का अभाव-:
ज्यादातर दुकानदार जहां पर मिठाई बनवाते हैं, वहां सफाई की स्थिति बेहद खराब रहती है। धूल, गंदगी और कीड़ों-मकोड़ों के बीच मिठाई तैयार की जाती है। कई दुकानदार यूपी से रेडीमेड मिठाई मंगाकर यहां अपने हिसाब से दोबारा पैक कर बेचते हैं। मिठाई बनाने में सस्ते और घटिया रिफाइन तेल का उपयोग आम बात हो गई है।

बेसन वाली मिठाइयों में भी मिलावट-:
बेसन की मिठाइयों में शुद्ध बेसन के बजाय खसरा और मटरा की दाल का बेसन तथा मैदा मिलाया जा रहा है। साथ ही हानिकारक रंग और सस्ते तेल में तलकर मिठाई तैयार की जाती है। उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य के साथ यह सीधा खिलवाड़ है।

खाद्य विभाग की निष्क्रियता पर सवाल-:
सबसे बड़ी चिंता का विषय यह है कि जिले का खाद्य विभाग इस पूरे मामले में चुप्पी साधे बैठा है। अब तक किसी भी बड़ी मिठाई दुकान या स्टोर रूम का निरीक्षण नहीं हुआ है। सूत्रों का कहना है कि कुछ दुकानदार एकमुश्त राशि देकर निरीक्षण से बच जाते हैं। यही कारण है कि आज तक किसी दुकान पर कोई बड़ी कार्रवाई नहीं हुई।

कैसे पहचानें नकली मिठाई विशेषज्ञों के अनुसार-:
मिठाई का रंग अगर बहुत चमकीला या अननेचुरल लगे तो समझ लें इसमें केमिकल कलर है।

असली मिठाई का रंग हल्का और नेचुरल होता है।

मिठाई का छोटा टुकड़ा पानी में डालें अगर पानी का रंग पीला या गुलाबी हो जाए तो यह मिलावटी मिठाई है।

आयोडीन की कुछ बूंदें डालने पर रंग में बदलाव हो तो खोवा नकली है।

उपभोक्ताओं में बढ़ी नाराजगी, सख्त कार्रवाई की मांग-:
दीवाली से पहले बाजार में मिठाई की भारी बिक्री होती है। ऐसे में मिलावटी और घटिया मिठाई से स्वास्थ्य पर बड़ा खतरा मंडरा रहा है। उपभोक्ताओं ने प्रशासन और खाद्य विभाग से जल्द कार्रवाई की मांग की है ताकि त्योहार में लोगों की सेहत से खिलवाड़ न हो

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