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गरीबों का निवाला छीन कर खुद धन्ना सेठ बन चुके प्रदीप (छोटे) उर्मिलिया

गरीब परिवार के लोगों को हर माह मिलने वाली शक्कर नहीं हुई कभी नसीब, आखिर कोटेदार के द्वारा इतना भ्रष्टाचार और अभी तक कोई कार्यवाही नहीं हो पा रही

💥गुढ़ ब्रेकिंग💥

गरीब परिवार के लोगों को हर माह मिलने वाली शक्कर नहीं हुई कभी नसीब, आखिर कोटेदार के द्वारा इतना भ्रष्टाचार और अभी तक कोई कार्यवाही नहीं हो पा रही बन चुके प्रदीप (छोटे) उर्मिलिया

हर माह ग़रीब हितग्राहियों को मिलने वाले राशन में की जा रही चोरी, शासन-प्रशासन दिखा रहा कोटेदार पर दरियादिली

गरीब परिवार के लोगों को हर माह मिलने वाली शक्कर नहीं हुई कभी नसीब, आखिर कोटेदार के द्वारा इतना भ्रष्टाचार और अभी तक कोई कार्यवाही नहीं हो पा रही

✍🏻पीयूश कुमार गुप्ता की रिपोर्ट

गुढ़। मध्य प्रदेश सरकार में बीजेपी की सत्ता में लॉकडाउन जब से लगा सरकार हर महीने गरीब हितग्राहियों को फ्री में गल्ला दे रही है। और उन्हें हर महीने परिवार के सदस्य के हिसाब से 5 किलो प्रति सदस्य के उसमें उन्हें राशन प्रदान किया जाता है। जहां 5 सदस्य एक परिवार में होने पर उसको 25 से 30 किलो राशन मिलता है। जिसमें सरकार के द्वारा गेहूं, चावल, शक्कर, नमक जैसी जरूरतमंद चीज गरीब परिवार के हितग्राहियों को दी जाती है। लेकिन सरकार के द्वारा दिए जा रहे इस खाद्यान्न में गुढ़ के कोटेदार प्रदीप (छोटे) उरमालिया जो कि लगभग आज नहीं कई वर्षों से कोटा में कोटेदारी कर रहे हैं।

और जब से इन्होंने किया है तब से ही ये गरीबों के निवाले में अपना डंक मार के बैठे हुए और सरकार के द्वारा गरीबों को मिलने वाले खाद्यान्न में हर महीने कई लाखों रुपए की चपत लगते हैं। और गरीबों का निवाला छीनते हुए अपनी जेब भरते हैं। यह कोई नया मामला नहीं है गरीब के हक को मारने में जब से बीजेपी की सत्ता आई हर जगह भ्रष्टाचार है। हर विभाग गरीब और आम आदमी को चूसती है। और उनके हक को मारती है लेकिन यह गरीब परिवारों को मिलने वाले खाद्यान्न में हक नहीं पूरा का पूरा डकार मार लेते हैं। गरीब किसानों को मिलने वाले खाद्यान्न में 4 से 6 किलो चाहे वह गेहूं हो या चावल उसमें झमेला करते हैं और ये वार्ड क्रमांक 01 से 7 तक के हितग्राहियों को आज तक कभी चाय में पड़ने वाली शक्कर नसीब नहीं हुई और केवल यही एक ऐसे कोटेदार है कि जो कभी भी किसी महीने गरीब परिवार को मिलने वाली शक्कर नहीं देते हैं। सरकार के द्वारा भेजी जा रही हर महीने कई कुंटल शक्कर आखिर यह कहां खपत कर देते हैं और किस बेच देते हैं आज तक का शासन और न प्रशासन इस पर संज्ञान ले पाया और ना ले रहा है आखिर किस नेता या सफेद पोश राजनेता का दबाव है कि प्रशासन कार्रवाई करने में हाथ पीछे कर रहा है।

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कोटेदार रहते हुए अर्जित की गई करोड़ों की संपत्ति क्या प्रशासन खानापूर्ति करने के लिए कार्रवाई करेगा या वर्षों से गरीबों का निवाला छीनने वाले कोटेदार पर कानूनी शिंकजा कसते हुए बरसों से काली कमाई कर चुके उस पर रिकवरी और जांच भी की जाएगी ?

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