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रीवा में अपनी ही बेटी के शव को नदी में बहाया: लड़की की गर्दन पर घड़े, शरीर में 100 किलो के पत्थर बंधे हुए थे, वजह दिमाग घुमा देगी..

रीवा जिले के नीबा गोहट गांव की नदी में बंधे पत्थरों के साथ लड़की का शव मिलने से सनसनी, जांच में अंधविश्वासी परंपरा का खुलासा।

रीवा में अपनी ही बेटी के शव को नदी में बहाया: लड़की की गर्दन पर घड़े, शरीर में 100 किलो के पत्थर बंधे हुए थे, वजह दिमाग घुमा देगी..

रीवा जिले के नीबा गोहट गांव की नदी में बंधे पत्थरों के साथ लड़की का शव मिलने से सनसनी, जांच में अंधविश्वासी परंपरा का खुलासा।

नदी से मिला शव और सनसनी

रीवा जिले के नीबा गोहट गांव की नदी में 13 अगस्त को एक नाबालिग लड़की की लाश मिलने से हड़कंप मच गया। शव की हालत देखकर पुलिस भी हैरान रह गई। गर्दन पर दो घड़े बंधे थे और कंधे पर पत्थरों से भरी बोरी लटकी थी। शव पर चोट के निशान साफ दिखाई दे रहे थे, जिससे हत्या की आशंका और गहरी हो गई। पुलिस ने तुरंत जांच शुरू की और आसपास के गांवों में पहचान की कोशिश की। बाद में पुष्टि हुई कि शव देवरी गांव निवासी राधेश्याम यादव की बेटी सविता यादव का है।

 

परिवार का बयान और परंपरा का हवाला

लड़की के पिता राधेश्याम ने पुलिस को बताया कि उनकी बेटी मिर्गी से पीड़ित थी। 11 अगस्त को अचानक दौरा पड़ा और सिर पर चोट लगने से उसकी मौत हो गई। परिवार के मुताबिक, अस्पताल में डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया था। पिता का कहना था कि परंपरा के अनुसार शव को नदी में प्रवाहित करना जरूरी समझा गया, इसलिए भारी पत्थर और घड़े बांधकर शव को नदी में डाल दिया गया। उनका कहना था कि यह कोई अपराध नहीं बल्कि मान्यता का हिस्सा है। पुलिस ने पूछताछ और पोस्टमार्टम के बाद मामला हत्या का नहीं बल्कि अंधविश्वास से जुड़ा पाया।

गांव में फैली अंधविश्वासी मान्यताएं

गांव की महिलाओं और बुजुर्गों के अनुसार, कई वर्षों से ऐसी प्रथा चली आ रही है कि कुछ बीमारियों से मरने वाले लोगों का दाह संस्कार नहीं किया जाता, बल्कि शव को नदी में प्रवाहित कर दिया जाता है। सविता की मां ने भी बताया कि मायके में भी ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं और लोग मानते हैं कि दाह संस्कार से बीमारी परिवार में फैल सकती है। यह मान्यता अंधविश्वास पर आधारित है, लेकिन ग्रामीण आज भी इसे सच मानते हैं।

सामाजिक कार्यकर्ताओं और डॉक्टरों की राय

सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस घटना को बेहद चिंताजनक बताया। उनका कहना है कि अगर कुप्रथा को सही मान लिया गया तो अपराधी भी इसका सहारा लेकर हत्या को छुपा सकते हैं। अधिवक्ता बीके माला ने कहा कि परंपरा के नाम पर यह एक खतरनाक चलन है। वहीं, मेडिकल एक्सपर्ट्स का कहना है कि दाह संस्कार से बीमारी फैलने का कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। रीवा के संजय गांधी अस्पताल के सीएमओ यत्नेश त्रिपाठी ने इसे पूरी तरह से अंधविश्वास और अज्ञानता का परिणाम बताया

प्रशासन की कार्रवाई और जागरूकता

रीवा प्रशासन ने भी इस मामले को गंभीरता से लिया है। प्रभारी कलेक्टर सौरभ सोनवड़े ने कहा कि यह मान्यता किसी भी रूप में सही नहीं है और इसे कुप्रथा की श्रेणी में रखा जाएगा। उन्होंने भरोसा दिलाया कि गांवों में जागरूकता अभियान चलाकर इस गलत परंपरा को खत्म किया जाएगा। प्रशासन का कहना है कि यदि लोग इस तरह शव प्रवाहित करते रहे तो इससे कानून-व्यवस्था पर भी असर पड़ेगा। इसलिए अंधविश्वास तोड़ना और सही जानकारी देना बेहद जरूरी है।

FAQ – रीवा नदी शव मामला 

Q1. रीवा में नदी से शव मिलने की घटना कब हुई?

13 अगस्त को नीबा गोहट गांव की नदी से लड़की की लाश बरामद हुई।

Q2. शव के साथ पत्थर और घड़े क्यों बंधे थे?

परिवार ने परंपरा का हवाला देते हुए बताया कि शव को नदी में प्रवाहित करने के लिए ऐसा किया गया।

Q3. पुलिस जांच में क्या सामने आया?

पोस्टमार्टम और पूछताछ में हत्या की आशंका खत्म हुई, मामला अंधविश्वास से जुड़ा निकला।

Q4. डॉक्टरों और विशेषज्ञों की क्या राय है?

डॉक्टरों ने कहा कि बीमारी दाह संस्कार से नहीं फैलती। यह पूरी तरह अंधविश्वास है।

Q5. प्रशासन क्या कदम उठाएगा?

प्रभारी कलेक्टर सौरव सोनवड़े ने कहा कि इस कुप्रथा को खत्म करने के लिए जागरूकता अभियान चलाया जाएगा।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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