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मऊगंज: शिक्षा विभाग में दलाली का खेल, स्कूल बंद – कागजों में चालू!

मऊगंज जिले में भ्रष्टाचार की परतें एक-एक करके खुलती जा रही हैं। ताज़ा मामला सामने आया है सीतापुर (अटरिया) स्थित *आशा की संतोष उच्चतर माध्यमिक विद्यालय* का।

मऊगंज: शिक्षा विभाग में दलाली का खेल, स्कूल बंद – कागजों में चालू!

मऊगंज जिले में भ्रष्टाचार की परतें एक-एक करके खुलती जा रही हैं। ताज़ा मामला सामने आया है सीतापुर (अटरिया) स्थित *आशा की संतोष उच्चतर माध्यमिक विद्यालय* का।

यह स्कूल कब और कहां खुलता है, इसका जवाब तक अधिकारियों और प्राचार्य के पास नहीं है। हमारी टीम ने 1 सितंबर 2025 को दोपहर 2:58 बजे जब मौके पर जाकर जांच की, तो स्कूल पूरी तरह बंद मिला। प्राचार्य *शिवकुमार यादव* से जब सवाल किया गया कि स्कूल बंद क्यों है और इसका संचालन कहां होता है, तो पहले उन्होंने गोलमोल जवाब दिया, फिर पसीने-पसीने हो गए। उनसे जब स्कूल की आधिकारिक कागज़ी स्थिति पूछी गई, तो साफ जवाब देने के बजाय झूठ और तोड़-मरोड़ कर बातें करने लगे। इतना ही नहीं, जब संचालक महोदय से जानकारी लेने की कोशिश की गई तो उनका रवैया देखकर साफ लग रहा था कि मामला कहीं न कहीं *शिक्षा मंत्री और उपमुख्यमंत्री स्तर तक मिलीभगत* का है।

अगर स्कूल वाकई बंद है, तो फिर इसकी फाइलें और आदेश जनता से क्यों छिपाए जा रहे हैं? और अगर संचालित है तो आखिर कहां और कैसे, यह बताने में इतनी परेशानी क्यों हो रही है? जिला शिक्षा अधिकारी (DEO), BRC, BO और संकुल समन्वयक तक – किसी ने भी फोन रिसीव करना ज़रूरी नहीं समझा। ऐसे में साफ झलकता है कि शिक्षा विभाग के बड़े अफसर भी इस पूरे खेल में कहीं न कहीं *दलाली के हिस्सेदार* बने बैठे हैं। सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब *कलेक्टर संजय कुमार जैन* जैसे अधिकारी जिले में मौजूद हैं, तो कार्रवाई क्यों नहीं हो रही? या फिर पूरा प्रशासन आंख मूंदकर इस गोरखधंधे को संरक्षण दे रहा है?

मऊगंज जिले की हकीकत यह है कि जब भी कोई पत्रकार इस तरह के भ्रष्टाचार पर सवाल उठाता है, तो उसे नोटिस थमा दिया जाता है। अधिकारियों की यही दबंगई और मिलीभगत अब साफ तौर पर उजागर हो रही है। यह मामला सिर्फ एक स्कूल तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे शिक्षा तंत्र पर सवाल खड़ा करता है। आखिर कागजों में चल रहे स्कूलों की हकीकत कब सामने आएगी? और क्या जिले के अधिकारी केवल दलाली और कमीशनखोरी में ही मशगूल रहेंगे?

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