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मनगवां अस्पताल की हकीकत – डॉक्टर लापता, कुत्तों के हवाले स्वास्थ्य व्यवस्था

जिले के मनगवां अस्पताल की हालत इन दिनों किसी मज़ाक से कम नहीं है। मरीजों को यहां इलाज तक नसीब नहीं हो रहा क्योंकि अस्पताल में डॉक्टर ज्यादातर समय लापता रहते हैं।

मनगवां अस्पताल की हकीकत – डॉक्टर लापता, कुत्तों के हवाले स्वास्थ्य व्यवस्था

रीवा

जिले के मनगवां अस्पताल की हालत इन दिनों किसी मज़ाक से कम नहीं है। मरीजों को यहां इलाज तक नसीब नहीं हो रहा क्योंकि अस्पताल में डॉक्टर ज्यादातर समय लापता रहते हैं। इलाज की व्यवस्था इतनी बदहाल है कि अस्पताल परिसर में कुत्ते घूम-घूमकर व्यवस्था की “देखभाल” कर रहे हैं। उद्घाटन के समय तो नेताओं ने फूल-मालाओं से राजनीति चमकाई, लेकिन उद्घाटन के बाद अस्पताल के हालात किसकी जिम्मेदारी है? यह सवाल स्थानीय नेताओं और स्वास्थ्य विभाग दोनों के गले की हड्डी बना हुआ है। स्वास्थ्य केंद्र में मरीजों की जगह कुत्तों का जमावड़ा है।

दवा नहीं, डॉक्टर नहीं, व्यवस्था नहीं – आखिर जनता किसके पास जाए? मंत्री और विधायक क्या केवल उद्घाटन की औपचारिकता निभाने आते हैं? स्वास्थ्य विभाग के अफसर फाइलों में ही अस्पताल चला रहे हैं या कभी मौके पर जाकर भी हकीकत देखने की हिम्मत करेंगे? अब हालत यह हो गई है कि अगर कोई पत्रकार इस सच्चाई को उजागर करने की हिम्मत करता है तो उसे धमकियां मिलती हैं। डॉक्टर नोटिस थमाते हैं और एफआईआर दर्ज कराने की कोशिश करते हैं। सवाल यह है कि क्या सच दिखाना अपराध है? क्या सरकार और स्वास्थ्य महकमा अपनी नाकामी छुपाने के लिए पत्रकारों पर कार्रवाई करेगा? लेकिन सच्चाई को दबाया नहीं जा सकता।

पत्रकारिता का धर्म है कि जनता तक हकीकत पहुंचे और मनगवां अस्पताल की यह स्थिति किसी भी जिम्मेदार सिस्टम पर गंभीर सवाल खड़े करती है। हमारी कलम न रुकने वाली है और न ही झुकने वाली है। अगर नोटिस जारी करना है तो करिए, एफआईआर दर्ज करनी है तो करिए, लेकिन सच्चाई जनता तक पहुंचती रहेगी।

 

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