*भ्रष्टाचार की हद: मऊगंज के फरहदा स्कूल में छात्र का भविष्य दांव पर, प्राचार्य*
मऊगंज जिले के ग्राम पंचायत फरहदा में शिक्षा विभाग की लापरवाही और भ्रष्टाचार का ऐसा मामला सामने आया है जिसने सभी को हैरान कर दिया है। शासकीय हाई सेकेंडरी स्कूल फरहदा में 9वीं कक्षा के वार्षिक परीक्षा परिणाम में हुई गंभीर गलती ने एक छात्र का भविष्य संकट में डाल दिया है। ग्राम फरहदा निवासी शिवम गोस्वामी, पिता अरुण कुमार गोस्वामी, कक्षा 9वीं के नियमित छात्र हैं।

*भ्रष्टाचार की हद: मऊगंज के फरहदा स्कूल में छात्र का भविष्य दांव पर, प्राचार्य*
मऊगंज जिले के ग्राम पंचायत फरहदा में शिक्षा विभाग की लापरवाही और भ्रष्टाचार का ऐसा मामला सामने आया है जिसने सभी को हैरान कर दिया है। शासकीय हाई सेकेंडरी स्कूल फरहदा में 9वीं कक्षा के वार्षिक परीक्षा परिणाम में हुई गंभीर गलती ने एक छात्र का भविष्य संकट में डाल दिया है। ग्राम फरहदा निवासी शिवम गोस्वामी, पिता अरुण कुमार गोस्वामी, कक्षा 9वीं के नियमित छात्र हैं।
उनका आरोप है कि सत्र 2024-25 की वार्षिक परीक्षा में उनके नाम और जाति में जानबूझकर गलत सुधार किया गया। सही नाम “शिवम गोस्वामी” और रोल नंबर 76 की जगह, परिणाम सूची में गलत तरीके से रोल नंबर 77 पर “शिवम जोगी” दर्ज कर दिया गया। इस गड़बड़ी से उनका परिणाम प्रभावित हो गया। शिवम का कहना है कि वे बीते 4 महीनों से स्कूल प्राचार्य विपिन पटेल से इस त्रुटि को सुधारने की मांग कर रहे हैं। प्राचार्य ने कई बार भरोसा दिलाया, लेकिन नतीजे में कोई बदलाव नहीं किया गया। उल्टे, अब उन्हें धमकियां दी जा रही हैं कि ज्यादा शिकायत मत करो। मंगलवार को जनसुनवाई के दौरान, छात्र के पिता ने चार बार जिला कलेक्टर कार्यालय में आवेदन दिया, लेकिन सुधार अब तक नहीं हुआ। छात्र का यह भी आरोप है कि एक दिन की परीक्षा में उन्हें अनुपस्थित दिखा दिया गया, जबकि उन्होंने नियमित रूप से परीक्षा दी थी।
सूत्रों के मुताबिक, प्राचार्य के एक स्थानीय विधायक से निजी संबंध हैं, जिसके कारण शिक्षा विभाग और अधिकारी भी कार्रवाई करने से बच रहे हैं। स्थिति यह है कि जिन अधिकारियों को निलंबित और नोटिस जारी करना चाहिए था, वे चुप्पी साधे हुए हैं। स्कूल के अन्य छात्रों का भी कहना है कि यहां पढ़ाई नाम मात्र की होती है। कई शिक्षक समय पर स्कूल आते ही नहीं, और जो आते हैं, वे भी क्लास में बैठकर समय काटते हैं। नतीजतन, छात्रों की उपस्थिति घटती जा रही है। सवाल यह उठ रहा है कि आखिर शिक्षा विभाग और जिला प्रशासन ऐसे मामलों में कार्रवाई क्यों नहीं करता, और कब तक छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ होता रहेगा? यह मामला न केवल एक छात्र की जिंदगी पर असर डाल रहा है, बल्कि शिक्षा व्यवस्था की बदहाली और भ्रष्टाचार की पोल भी खोल रहा है। अगर जल्द ही जिम्मेदारों पर सख्त कार्रवाई नहीं हुई, तो ऐसे कई और बच्चों का भविष्य अंधकार में चला जाएगा।




