*"सीतापुर में नशे का कारोबार बेलगाम, पुलिस पर गंभीर सवाल"*
ग्राम पंचायत सीतापुर इन दिनों नशे के कारोबार का गढ़ बनती जा रही है।

रीवा संभाग के अंतर्गत मऊगंज जिले की लौर थाना अंतर्गत ग्राम पंचायत सीतापुर इन दिनों नशे के कारोबार का गढ़ बनती जा रही है। कोरेक्स जैसी नशीली सिरप खुलेआम बेची जा रही है,
और इस धंधे में कुछ मेडिकल संचालकों की मिलीभगत की भी चर्चा है।
सबसे गंभीर बात ये है कि स्थानीय पुलिस मुकबधिर बनी हुई है, मानो उसे सब कुछ दिखता है लेकिन वह देखने को तैयार नहीं। सूत्रों के अनुसार, जिस व्यक्ति के खिलाफ पूर्व में आबकारी विभाग द्वारा कार्रवाई की गई थी, और जिसमें ₹50,000 की कथित लेन-देन की बात सामने आई थी, वही व्यक्ति अब फिर से खुलेआम नशीली सिरप की आपूर्ति कर रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि यह धंधा अब केवल छुपकर नहीं, बल्कि सरेआम और बेहिचक किया जा रहा है। गांव में दबी जुबान से यह बात भी उठ रही है कि इस कारोबार के पीछे कुछ खाकीधारी भी शामिल हैं, जो कार्रवाई की बजाय मामले को दबाने में रुचि रखते हैं। उनका ध्यान नशे को रोकने में नहीं, बल्कि लेनदेन और सुविधा शुल्क की ओर है। इससे अपराधियों के हौसले इतने बुलंद हो चुके हैं कि वे खुलकर कहने लगे हैं – “हमें कोई कुछ नहीं कर सकता।” जन चौपाल और जागरूकता कार्यक्रम भले ही आईजी स्तर पर हो रहे हों, लेकिन अगर जमीनी स्तर पर देखें तो हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं। जिस गांव में शिक्षा, स्वास्थ और रोजगार की जरूरत है, वहां नशे का जहर तेजी से फैल रहा है। युवाओं का भविष्य अंधकार की ओर धकेला जा रहा है, और पुलिस-प्रशासन की निष्क्रियता इस गिरते सामाजिक ढांचे की सबसे बड़ी वजह बनती जा रही है। इस मामले को लेकर यदि शीघ्र और कठोर कार्रवाई नहीं हुई, तो न सिर्फ सीतापुर, बल्कि पूरे मऊगंज जिले को इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है। सवाल यह भी है कि क्या पुलिस सिर्फ “लेनदेन और कागजी खानापूर्ति” तक ही सीमित रह गई है? अगर नहीं, तो फिर कार्रवाई क्यों नहीं?
MAUGANJ SE KAMLESH TIWARI KI KHABAR
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