Politics: लंबा सियासी अनुभव, संघ और PM मोदी के करीबी, जाति समीकरण में भी फिट; ये नेता होगा नया उपराष्ट्रपति?
ये नेता होगा नया उपराष्ट्रपति?

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लंबा सियासी अनुभव, संघ और PM मोदी के करीबी, जाति समीकरण में भी फिट; ये नेता होगा नया उपराष्ट्रपति?
जगदीप धनखड़ के इस्तीफा देने के बाद देश को नए उपराष्ट्रपति का इंतजार है। इस पद की दौड़ में कई नाम सामने आएं हैं, मध्य प्रदेश के भी एक वरिष्ठ भाजपा नेता का नाम इस रेस में शामिल है। कई मायनों में उनकी नाम इस पद के लिए सटीक माना जा रहा है।
देश के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफा देने के बाद अब नए उपराष्ट्रपति के नाम को लेकर चर्चा तेज हो गई है। एनडीए के पास बहुमत होने से यह साफतौर पर कहा जा रहा है कि जो भी नया उपराष्ट्रपति होगा वह भाजपा हाईकमान की पसंद का ही होगा। उपराष्ट्रपति पद की दौड़ में कई नाम सामने आ रहे हैं। इनमें से एक नाम मध्य प्रदेश की बाबा महाकाल की नगरी से ताल्लुक रखने वाले भाजपा नेता और वर्तमान में कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत का भी है।
गहलोत भाजपा के वरिष्ठ नेता हैं, वे मोदी सरकार में कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं। उन्हें संसदीय प्रक्रिया का लंबा अनुभव है। सबसे बड़ी बात यह भी है कि उनके संघ (आरएसएस) और पीएम मोदी से भी अच्छे संबंध हैं। साथ ही थावरचंद गहलोत राजनीतिक अनुभव के साथ-साथ जातिगत समीकरणों में भी फिट बैठ रहे हैं। ऐसे में इस पद पर उनकी दाबेदारी मजबूत मानी जा रही है।

1980 में लड़ा पहला चुनाव
77 साल के थावरचंद गहलोत राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सक्रिय कार्यकर्ता रहे हैं। उन्होंने संघ के लिए खूब काम किया हैं। हालांकि, उन्होंने राजनीतिक सफर की शुरुआत जनता पार्टी से की थी। 1977 में वे उज्जैन ग्रामीण जिले के महासचिव पद पर रहे थे। 1980 में गहलोत भाजपा में शामिल हो गए और रतलाम जिले की आलोट विधानसभा सीट से चुनाव जीतकर पहली बार विधायक बने। 1985 में उन्हें चुनाव में हार का सामना करना पड़ा, लेकिन पांच साल बाद 1990 में हुए चुनाव में गहलोत ने वापसी की, इस दौरान वे प्रदेश सरकार में राज्यमंत्री बने।
1996 में पहली बार लोकसभा पहुंचे
1996 में वे शाजापुर सीट से चुनाव जीतकर पहली बार लोकसभा पहुंचे। इसके बाद वे 1998 से 2004 तक लगातार सांसद रहे। 2009 में गहलोत ने देवास सीट से चुनाव लड़ा लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद पार्टी ने गहलोत को 2012 में राज्यसभा भेजा। 2018 में उन्हें फिर राज्यसभा भेजा गया, 2019 में वे राज्यसभा में भाजपा संसदीय दल के नेता। 2014 में गहलोत मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्री बने। 2021 में केंद्र की मोदी सरकार ने उन्हें कर्नाटक का राज्यपाल नियुक्त कर दिया। गहलोत कर्नाटक के 13वें राज्यपाल हैं। 1996 में गहलोत को श्रेष्ठ विधायक का अवार्ड भी मिल चुका है। विधानसभा, लोकसभा और राज्यसभा के अलावा गहलोत पार्टी स्तर पर भी कई महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं।

अनुसूचित जनजाति से आते हैं गहलोत
कांग्रेस समेत पूरा विपक्ष भाजपा पर दलितों-पिछड़ों के शोषण का आरोप लगाता रहता है। ऐसे में अनुसूचित जनजाति से आने वाले गहलोत जातिगत समीकरण में भी भाजपा के लिए फिट बैठ रहे हैं। यह कारण भी उनकी उपराष्ट्रपति पद की दावेदारी को मजबूत कर रहा है। अगर, गहलोत उपराष्ट्रपति बनते हैं तो आने वाले चुनाव में भाजपा को इसका फायदा मिल सकता है।
पीएम मोदी के करीबी माने जाते हैं गहलोत
थावरचंद गहलोत को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का करीबी माना जाता है। वे भाजपा में राष्ट्रीय सचिव, उत्तर-पूर्व भारत के प्रभारी, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जैसे महत्वपूर्ण पदों पर भी रह चुके हैं। संगठनात्मक दक्षता, अनुशासन और वर्षों से पार्टी के लिए निष्ठा उन्हें भाजपा अलाकमान की ‘गुड बुक’में शामिल करती है।




