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मासूमों का मर्डर: जीजा बना 'जल्लाद', पति से अलग रह रही साली का उजाड़ा परिवार; बच्चों की हत्या की खौफनाक कहानी

बच्चों की हत्या की खौफनाक कहानी

MP Double Murder Case: 
सिवनी में एकतरफा प्यार में पागल जीजा ने पति से अलग रह रही साली का परिवार उजाड़ दिया। आरोपी ने अपनी साली के दो मासूम बच्चों को नई साइकिल का झांसा देकर अगवा किया और फिर जंगल में ले जाकर गला रेतकर हत्या कर दी।
प्यार ये सिर्फ एक शब्द नहीं, एक पवित्र रिश्ता है, जो अपनों को सुरक्षित रखने उनके लिए हर कुछ करने के ऊर्जा देता है। लेकिन, जब यह सिर पर जुनून बनकर सवार हो जाए तो एक खौफनाक कहानी बन जाती है। ऐसा ही कुछ हुआ मध्य प्रदेश के सिवनी जिले में रहने वाली एक महिला के साथ। महिला का जीजा उसके एकतरफा प्यार में पालग था, वह उसे पाने के लिए कुछ भी कर गुजरने के लिए तैयार था।
वहीं, करीब तीन साल से पति से अलग रह रही महिला किसी तरह अपने बच्चों के पालन-पोषण में जुटी थी। उसे इस बात की बिल्कुल भनक नहीं थी कि उसका जीजा उसके परिवार को तवाह करने वाला है। एक दिन अचानक महिला के दोनों बच्चे लापता हो गए। बाद में पुलिस को उनके खून से लतपथ शव मिले। मामले की जांच हुई और पुलिस ने जो खुलासा किया उसने हर किसी को दहला दिया। सबकी जुबान पर एक ही सवाल था आखिरी बच्चों की क्या गलती थी? आइए, खून से सनी इस दहला देने वाली कहानी को अब विस्तार से जानते हैं…।
सबसे पहले जानिए क्या है मामला?  
सिवनी जिले के महावीर व्यायामशाला के पास पूजा ढाकरिया अपने दो बच्चों के साथ रहती थी। पूजा तीन साल पहले अपने पति से अलग हो गई थी और यहां आकर किराए के मकान में रहने लगी थी। उसके साथ उसके दो बेटे मयंक (9) और दिव्यांश (6) भी रहते थे। बड़ा बेटा मयंक चौथी कक्षा में और छोटा बेटा दिव्यांश दूसरी कक्षा में पढ़ रहा था। पूजा मजदूरी और घरों में काम कर अपने परिवार का खर्च चलाती थी। पूजा की सगी बहन करिश्मा की सादी भोजराम बेलवंशी से हुई थी। भोजराम का पूजा के घर आना-जाना था। परिवार में सब कुछ ठीक चल रहा था, इसी बीच एक दुखद घटना घटी। 15 जुलाई की शाम पूजा घर से काम के लिए निकली तो उसके दोनों बच्चे घर में ही थे, वापस लौटी तो दोनों घर पर नहीं मिले। आसपास पता करने पर भी दोनों के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली।
ऑटो चालक बोला- बच्चे युवक को मौसा कह रहे थे  
16 जुलाई की सुबह पीड़िता महिला पुलिस के पास पहुंची और दोनों बच्चों मयंक (9) और दिव्यांश (6) की गुमशुदगी दर्ज कराई। पुलिस ने केस दर्ज कर मामले की जांच शुरू की, लेकिन बच्चों का कुछ पता नहीं चला। पुलिस ने सर्च ऑपरेशन जारी रखा, अगले दिन 17 जुलाई को दोनों के शव घर से करीब 13 किमी दूर अंबा माई के जंगल में मिले। दोनों शवों की हालत खराब थी, जंगल में उन्हें पत्थरों से छिपाकर रखा गया था। पुलिस ने शव बरामद कर पोस्टमार्टम के लिए भेजे और आगे की जांच शुरू की। इस दौरान पुलिस एक ऑटो चालक मिला, जिसने बताया कि वह बच्चों को अपने ऑटो में बिठाकर ले गया था, उसने दोनो को आइरिश स्कूल के पास उतारा था, उनके एक साथ एक युवक था, जिसे बच्चे मौसा कहकर बुला रहे थे। ऑटो चालक के इस खुलासे के बाद पुलिस की निगाह भोजराम बेलवंशी पर अटक गई।
ऐसे दिया वारदात को अंजाम
15 जुलाई की शाम भोजराम ने दोनों बच्चों मयंक और दिव्यांश को नई साइकिल दिलाने का झांसा दिया। इसके बाद वह उन्हें घसियारी चौक से ऑटो में बैठाकर जनता नगर चौक तक ले गया। साजिश के तहत वहां उसका दोस्त शुभम उर्फ यश मिला। यहां से दोनों बच्चों को बाइक पर बैठाकर आमागढ़ होते हुए अंबा माई के जंगल की ओर निकले। सूनसान जगह देखकर दोनों जंगल में गए, जहां भोजराम ने चाकू से दोनों बच्चों का गला रेत दिया। दोनों बच्चों की हत्या के बाद आरोपियों ने बड़े-बड़े पत्थर से उनके शवों को छिपा दिया, जिससे वे किसी को आसानी से न दिखाई दें। आरोपी भोजराज के कबूलनामे के बाद पुलिस ने उसके दोस्त को भी गिरफ्तार कर लिया।
पहले भी दी थी बच्चों को मारने की धमकी  
जानकारी के अनुसार, आरेपी भोजराम ने पुलिस पूछताछ में बताया कि वह पूजा से प्यार करता था, लेकिन पूजा उसके साथ कोई रिश्ता नही चाहती थी। ऐसे में उसने एक बार पहले भी पूजा को बच्चों को मारने की धमकी दी थी। दोनों बच्चे उसे पसंद नहीं करते थे, लेकिन उसे कोई मौका नहीं मिल रहा था।

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