ujjainमध्य प्रदेशराज्य

Ujjain News: उज्जैन अस्पताल में करोड़ों का भ्रष्टाचार! लोकायुक्त ने खोली सिविल सर्जन की काली करतूतें

उज्जैन के जिला अस्पताल और चरक भवन में अनियमित ठेकों और नियम विरुद्ध भुगतान के चलते पूर्व सिविल सर्जन और दो अधीनस्थ कर्मचारियों के खिलाफ लोकायुक्त ने भ्रष्टाचार और षड्यंत्र का केस दर्ज किया है। मामले में शासन को करोड़ों की आर्थिक क्षति पहुंचाने के आरोप हैं।

Ujjain News: उज्जैन अस्पताल में करोड़ों का भ्रष्टाचार! लोकायुक्त ने खोली सिविल सर्जन की काली करतूतें.

उज्जैन के जिला अस्पताल और चरक भवन में अनियमित ठेकों और नियम विरुद्ध भुगतान के चलते पूर्व सिविल सर्जन और दो अधीनस्थ कर्मचारियों के खिलाफ लोकायुक्त ने भ्रष्टाचार और षड्यंत्र का केस दर्ज किया है। मामले में शासन को करोड़ों की आर्थिक क्षति पहुंचाने के आरोप हैं।

 

उज्जैन जिला अस्पताल और चरक भवन में हुए आर्थिक घोटाले के मामले में लोकायुक्त ने बड़ी कार्रवाई की है। लोकायुक्त पुलिस ने पूर्व सिविल सर्जन डॉ. प्रयागनारायण शर्मा सहित दो अधीनस्थ कर्मचारियों  तत्कालीन लेखापाल राजकुमार सोनी और प्रभारी लिपिक राहुल पंड्या  के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम और आपराधिक षड्यंत्र की धाराओं में केस दर्ज किया है।.

यह भी पढें: अमरपाटन पुलिस की बड़ी कार्रवाई: अंतर्जिला शराब तस्करी का भंडाफोड़, अर्टिगा कार से लाखों की अवैध शराब जब्त

लोकायुक्त एसपी आनंद यादव ने बताया कि ग्राम नजरपुर निवासी धर्मेंद्र शर्मा द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत के बाद जांच शुरू की गई। शिकायत में आरोप था कि शासकीय चरक अस्पताल में क्रय प्रक्रिया में भारी अनियमितताएं की गईं, जिससे शासन को आर्थिक हानि पहुंची। डीएसपी राजेश पाठक को मामले की जांच सौंपी गई थी।

यह भी पढें: रीवा: ओबीसी महासभा के प्रदेश महासचिव पप्पू कनौजिया एक महिला के साथ पकड़े गए, पत्नी ने पुलिस को दी सूचना

जांच में सामने आया कि अस्पताल संचालन के लिए दो साल के लिए अनुबंधित की गई फर्मों — दिल्ली रेफ्रिजरेशन/एयर कंडिशनिंग इंजीनियरिंग, इंदौर और रिडेन एसपीसी ऑक्सीजन गैस सप्लायर — को अनुबंध समाप्त होने के बाद भी बिना नई निविदा के तीन वर्षों तक कार्य जारी रखने दिया गया। इससे फर्मों को अनुचित लाभ मिला और शासन को नुकसान हुआ।

यह भी पढें: रीवा में राजस्व निरीक्षकों का स्थानांतरण, आदेश कलेक्टर प्रतिभा पाल द्वारा जारी

इतना ही नहीं, फर्मों को जीएसटी राशि का भुगतान भी किया गया, जिसे उन्होंने शासन को नहीं लौटाया। इसके बावजूद बिना किसी स्पष्टीकरण या क्लेरिफिकेशन सर्टिफिकेट के भुगतान कर दिया गया। पूर्व सिविल सर्जन ने अपनी वित्तीय शक्तियों का दुरुपयोग करते हुए बिना सक्षम प्राधिकरण की मंजूरी के भारी भुगतान कर दिया। अब इन अधिकारियों पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 7-सी, 13(1)(ए), 13(2) और भादंवि की धारा 120-बी के तहत मामला दर्ज किया गया है। प्रकरण में शासन को हुई कुल आर्थिक क्षति का निर्धारण ऑडिट के माध्यम से विवेचना के दौरान किया जाएगा।

 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!