मुकुंदपुर समेत छह गांवों को मैहर से हटाकर रीवा में जोड़ने पर BJP में खींचतान, कांग्रेस ने दी आंदोलन की चेतावनी
मध्य प्रदेश के विंध्य क्षेत्र की मुकुंदपुर सफेद बाघ सफारी को रीवा जिले में शामिल करने के प्रस्ताव पर राजनीतिक घमासान मच गया है। राज्य की इकलौती सफेद बाघ सफारी अब सत्तारूढ़ भाजपा और कांग्रेस के बीच तीखी बयानबाज़ी का कारण बन गई है। सफारी से जुड़े गांवों को लेकर उठे सीमांकन विवाद ने भाजपा के भीतर भी मतभेद उजागर कर दिए हैं।

मुकुंदपुर समेत छह गांवों को मैहर से हटाकर रीवा में जोड़ने पर BJP में खींचतान, कांग्रेस ने दी आंदोलन की चेतावनी
मध्य प्रदेश के विंध्य क्षेत्र की मुकुंदपुर सफेद बाघ सफारी को रीवा जिले में शामिल करने के प्रस्ताव पर राजनीतिक घमासान मच गया है। राज्य की इकलौती सफेद बाघ सफारी अब सत्तारूढ़ भाजपा और कांग्रेस के बीच तीखी बयानबाज़ी का कारण बन गई है। सफारी से जुड़े गांवों को लेकर उठे सीमांकन विवाद ने भाजपा के भीतर भी मतभेद उजागर कर दिए हैं।.
मध्य प्रदेश के विंध्य क्षेत्र में स्थित मुकुंदपुर सफेद बाघ सफारी को लेकर बड़ा राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है। यह सफारी राज्य की इकलौती सफेद बाघ सफारी है, जो अब राजनीतिक खींचतान का केंद्र बन गई है। मुकुंदपुर, धौबाहट, अमीन, परसिया, आनंदगढ़ और पापरा गांवों को सतना जिले की मैहर जिले से हटाकर रीवा जिले में शामिल करने के प्रस्ताव को लेकर सत्तारूढ़ भाजपा और विपक्षी कांग्रेस के नेताओं में तीखी बयानबाजी शुरू हो गई है। विवाद की शुरुआत तब हुई जब मैहर के अतिरिक्त कलेक्टर द्वारा अमरपाटन के राजस्व अधिकारी को भेजा गया एक पत्र वायरल हुआ। इसमें इन छह गांवों को रीवा में शामिल करने को लेकर हितधारकों से राय मांगी गई थी। मुकुंदपुर में ही 2016 में स्थापित “महाराजा मार्तंड सिंह जूदेव सफेद बाघ सफारी और चिड़ियाघर” स्थित है, जिसे 1951 में रीवा में पकड़े गए सफेद बाघ की याद में बनाया गया था, जिसे सफेद बाघों की वंश परंपरा की शुरुआत माना जाता है।
सतना से पांच बार के सांसद रहे भाजपा के गणेश सिंह ने मुख्यमंत्री मोहन यादव को पत्र लिखकर गांवों को रीवा में शामिल करने के प्रस्ताव का विरोध किया। उन्होंने इसे रीवा को फायदा पहुंचाने की ‘साजिश’ बताया। वहीं, मैहर से पूर्व विधायक और विंध्य जनता पार्टी के संस्थापक नारायण त्रिपाठी ने उपमुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ला पर मुकुंदपुर को हथियाने का आरोप लगाया।
कांग्रेस विधायक और पूर्व डिप्टी स्पीकर राजेंद्र सिंह ने आरोप लगाया कि इस कदम का उद्देश्य सफारी के क्षेत्र का नियंत्रण पाना है। उन्होंने एलान किया कि वे गांधीवादी तरीके से आंदोलन करेंगे और “मैहर जेल भरो” अभियान के तहत 1000 सत्याग्रहियों के साथ जेल जाएंगे।
उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ला ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर सफाई देते हुए कहा कि “कुछ कांग्रेस नेताओं ने निराधार आरोप लगाए हैं, जिनका कोई तथ्यात्मक आधार नहीं है।” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि जिले की सीमाओं का निर्धारण राज्य पुनर्गठन आयोग के अधीन है और उनसे इस बारे में कोई राय नहीं मांगी गई है, न ही उन्होंने कोई मांग की है।
वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक जयराम शुक्ला ने कहा कि नेताओं को इस मामले में राजनीति बंद करनी चाहिए। उन्होंने बताया कि मुकुंदपुर, रीवा मुख्यालय से केवल 12 किलोमीटर दूर है जबकि मैहर से करीब 60 किलोमीटर। ऐसे में सीमांकन का उद्देश्य लोगों को जिला कार्यालयों और न्यायालयों तक आसान पहुंच देना है।




