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रीवा बना झोलाछाप डॉक्टरों का गढ़, मरीजों की जान से हो रहा खिलवाड़!"**

रीवा बना झोलाछाप डॉक्टरों का गढ़,

 

रीवा जिले में स्वास्थ्य व्यवस्था की जो हालत है, उसे देखकर लगता है कि मानो जान की कोई कीमत ही नहीं रही। एक तरफ मुख्यमंत्री खुद झोलाछाप डॉक्टरों पर सख्त कार्रवाई के आदेश दे चुके हैं, वहीं दूसरी ओर जिले भर में धड़ल्ले से फर्जी डॉक्टरों के क्लीनिक आज भी बेरोकटोक चल रहे हैं। यह स्थिति सिर्फ चिंताजनक नहीं, बल्कि शर्मनाक भी है।

**बिना डिग्री, बिना रजिस्ट्रेशन — मौत का खुला व्यापार!**

रीवा जिले के शहरी क्षेत्रों से लेकर दूर-दराज के गांवों तक झोलाछाप डॉक्टरों का साम्राज्य फैल चुका है। बिना किसी मेडिकल डिग्री और वैध रजिस्ट्रेशन के ये लोग लोगों की जान से खुलेआम खिलवाड़ कर रहे हैं। गांवों में भोली-भाली जनता को सस्ते इलाज का झांसा देकर ये नकली डॉक्टर न केवल इलाज कर रहे हैं बल्कि इंजेक्शन, खून की बोतल और यहां तक कि छोटे ऑपरेशन भी कर रहे हैं।

**ग्रामीण क्षेत्र सबसे ज्यादा प्रभावित**

सीधी, मऊगंज, सिरमौर, हनुमना जैसे इलाकों में ऐसे फर्जी डॉक्टरों की भरमार है। ये लोग स्थानीय भाषा और लोगों की मजबूरी का फायदा उठाकर इलाज के नाम पर बीमारी को और गंभीर बना रहे हैं। कई मामलों में मरीजों की हालत खराब होने के बाद जबलपुर या रीवा मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया, पर तब तक बहुत देर हो चुकी थी।

**स्वास्थ्य विभाग बना मूकदर्शक**

स्वास्थ्य विभाग के पास न तो ठोस योजना है, न ही इच्छाशक्ति। अधिकारी सिर्फ नोटिस भेजकर, या एक-दो क्लीनिक पर खानापूर्ति कर मामले को दबा देते हैं। वहीं BMO और CMHO स्तर के अफसर सब कुछ जानकर भी आंखें मूंदे बैठे हैं। सवाल यह उठता है कि जब मुख्यमंत्री तक सख्त निर्देश दे चुके हैं तो आखिर किस दबाव में स्थानीय प्रशासन चुप है?

**बंगाली डॉक्टरों की बढ़ती संख्या – गुप्त रोगों के नाम पर ठगी**

जिले में कुछ बंगाली झोलाछाप डॉक्टरों ने भी क्लीनिक खोल रखे हैं। ये खुद को ‘गुप्त रोग विशेषज्ञ’ या ‘मेडिसिन स्पेशलिस्ट’ बताकर लोगों को भ्रमित कर रहे हैं। इनका कोई रजिस्ट्रेशन नहीं है, कोई मेडिकल डिग्री नहीं, लेकिन इनके पास मरीजों की लाइनें लगी रहती हैं। टीम जब इन क्लीनिकों पर पहुंची, तो कई फर्जी डॉक्टर क्लीनिक छोड़ भाग निकले।

**पत्रकार सवाल पूछे तो उल्टे आरोप लगते हैं!**

हैरानी की बात तो ये है कि जब कोई पत्रकार इस मुद्दे को उठाता है तो फर्जी डॉक्टर और उनके समर्थक उल्टे पत्रकारों पर ही आरोप लगाने लगते हैं। क्या अब पत्रकारिता भी अपराध हो गई है? क्या सच दिखाना अब लोगों को बर्दाश्त नहीं

**जनता की मांग – हो सख्त कार्रवाई, बंद हों फर्जी क्लीनिक**

स्थानीय जनप्रतिनिधियों और आम जनता ने स्वास्थ्य मंत्री, कलेक्टर और सीएमएचओ से अपील की है कि इस मामले को गंभीरता से लिया जाए और अवैध क्लीनिकों पर सख्त से सख्त कार्रवाई हो। नहीं तो एक दिन यह लापरवाही किसी बड़े जनसंहार का कारण बन सकती है

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