स्वास्थ्य सेवाओं के लिए त्रस्त मैहर – अस्पताल या मज़ाक़ का अड्डा?*
मैहर का सिविल अस्पताल अब इलाज का नहीं, इंतज़ार और इम्तिहान का केंद्र बन चुका है

*स्वास्थ्य सेवाओं के लिए त्रस्त मैहर – अस्पताल या मज़ाक़ का अड्डा?*
मैहर का सिविल अस्पताल अब इलाज का नहीं, इंतज़ार और इम्तिहान का केंद्र बन चुका है। पिछले 20 वर्षों से यहां सुधार के नाम पर सिर्फ़ भाषण और दिखावा हुआ है।
डॉक्टर साहब अस्पताल छोड़ निजी क्लीनिकों में व्यस्त हैं, और मरीज सरकारी दवाओं की उम्मीद में धक्के खा रहे हैं। एक्सरे मशीन कभी काम नहीं करती, तो कभी दवाइयाँ ‘स्टॉक में नहीं’ की पट्टी टाँग दी जाती है। अस्पताल की हालत देख लगता है जैसे यहां बीमारियों का इलाज नहीं, भ्रष्टाचार का पालन-पोषण होता है। जनप्रतिनिधि मौन हैं – शायद इसलिए कि चुप रहना अब योग्यता मानी जाती है। सिस्टम की इस लापरवाही पर पर्दा डालने की होड़ मची है, लेकिन जनता अब सवाल कर रही है – क्या हमारा स्वास्थ्य हक नहीं, या फिर मैहर सिर्फ़ भाषणों का मैदान बनकर रह गया है? घटिया व्यवस्था को उजागर करता वीडियो संलग्न है|




